मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव और माता पार्वती का पवित्र धाम श्रीशैलम

भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga), दक्षिण भारत के श्रीशैलम पर्वत (Srisailam Hill) पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव (मल्लिकार्जुन) और माता पार्वती (भ्रामरांबा देवी) को समर्पित है। यह स्थान आंध्र प्रदेश के कुर्नूल ज़िले में कृष्णा नदी के तट पर बसा हुआ है और यह न केवल एक धार्मिक स्थल बल्कि आध्यात्मिक अनुभव का केंद्र भी है। मल्लिकार्जुन मंदिर को “कैलाश का दक्षिण द्वार” (Southern Kailash) कहा जाता है क्योंकि यहाँ भगवान शिव का निवास माना जाता है।

Oct 15, 2025 - 12:58
Oct 16, 2025 - 17:02
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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: भगवान शिव और माता पार्वती का पवित्र धाम श्रीशैलम

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का इतिहास (Mallikarjuna Jyotirlinga History)

स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के दो पुत्र – कार्तिकेय और गणेश — के विवाह को लेकर एक कथा प्रसिद्ध है।

जब दोनों में यह विवाद हुआ कि पहले विवाह किसका होगा, तब भगवान शिव ने कहा कि जो सबसे पहले पृथ्वी का चक्कर लगाएगा, उसका विवाह पहले होगा।
कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर निकल पड़े, जबकि गणेश जी ने बुद्धिमानी से अपने माता-पिता की परिक्रमा कर ली और कहा — “माता-पिता ही सारा ब्रह्मांड हैं।”
इसलिए गणेश जी का विवाह पहले कर दिया गया।

यह जानकर कार्तिकेय दुखी होकर क्रौंच पर्वत (वर्तमान श्रीशैलम) चले गए। अपने पुत्र के दुख को दूर करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती भी वहीं पहुंचे।
उसी स्थान पर भगवान शिव ने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रूप में और माता पार्वती ने भ्रामरांबा देवी के रूप में निवास किया।

इस कथा के कारण यह स्थान माता-पिता के स्नेह और करुणा का प्रतीक माना जाता है।


मल्लिकार्जुन मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Mallikarjuna Temple)

मल्लिकार्जुन मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित है, जो अत्यंत भव्य और प्राचीन है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • मंदिर परिसर में ऊँचे गोपुरम (मंदिर द्वार) हैं, जो पारंपरिक द्रविड़ शैली में बने हैं।

  • गर्भगृह में भगवान शिव का स्वयंभू लिंग स्थापित है, जिसे मल्लिकार्जुन कहा जाता है।

  • माता पार्वती का भ्रामरांबा देवी मंदिर ठीक पास में स्थित है — इसलिए इसे “मल्लिकार्जुन-भ्रामरांबा मंदिर” भी कहा जाता है।

  • मंदिर के चारों ओर सुंदर नक्काशीदार स्तंभ, पत्थर की दीवारें, और द्रविड़ स्थापत्य की झलक दिखाई देती है।

मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही भक्ति का वातावरण, दीपों की रौशनी और “हर हर महादेव” की गूंज भक्त के मन को आनंदित कर देती है।


धार्मिक महत्व (Spiritual Significance of Mallikarjuna Jyotirlinga)

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का धार्मिक महत्व अत्यंत उच्च है।
यह स्थान उन कुछ ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की एक साथ पूजा की जाती है।

  • यहाँ भगवान शिव का “अर्जुन रूप (Malli + Arjuna)” और माता पार्वती का “मल्लिका (जैस्मिन देवी)” रूप पूजित है।

  • कहा जाता है कि यहाँ दर्शन मात्र से पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति (मोक्ष) मिलती है।

  • यह स्थान शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों होने के कारण द्विगुण पवित्र माना जाता है।


पूजा और आरती समय (Temple Timings & Aarti)

मंदिर दर्शन का समय:

  • सुबह: 4:30 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक

  • शाम: 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक

मुख्य आरतियाँ:

  • सुवर्ण आरती (सुबह)

  • महामंगल आरती (शाम)

  • अभिषेक पूजा और रुद्राभिषेक भक्तों द्वारा विशेष रूप से कराए जाते हैं।


मल्लिकार्जुन मंदिर कैसे पहुँचे (How to Reach Mallikarjuna Temple)

  1. हवाई मार्ग (By Air):
    नज़दीकी हवाई अड्डा राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (हैदराबाद) है, जो श्रीशैलम से लगभग 220 किमी दूर है।

  2. रेल मार्ग (By Train):
    निकटतम रेलवे स्टेशन मारकापुर रोड (Markapur Road) है, जो 85 किमी दूर स्थित है।

  3. सड़क मार्ग (By Road):
    श्रीशैलम तक हैदराबाद, कर्नूल और विजयवाड़ा से नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
    सड़क मार्ग पर घने जंगलों और घाटी के मनोरम दृश्य यात्रा को यादगार बना देते हैं।


यात्रा का सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit Mallikarjuna Jyotirlinga)

श्रीशैलम में पूरे वर्ष दर्शन संभव हैं, लेकिन यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है।

  • गर्मी (अप्रैल–जून): तापमान अधिक रहता है।

  • बरसात (जुलाई–सितंबर): हरी-भरी घाटियों का अद्भुत दृश्य, पर यात्रा थोड़ी कठिन।

  • सर्दी (अक्टूबर–मार्च): मौसम ठंडा और साफ, यात्रा के लिए आदर्श समय।


रहने की व्यवस्था (Accommodation)

श्रीशैलम में यात्रियों के लिए कई धर्मशालाएँ, गेस्ट हाउस और होटल उपलब्ध हैं।
देवस्थानम बोर्ड द्वारा संचालित तीर्थ निवास और भक्त निवास में स्वच्छ और सस्ती व्यवस्था मिलती है।


आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Nearby Attractions)

  1. भ्रामरांबा देवी मंदिर: मल्लिकार्जुन मंदिर के ठीक पास, 18 शक्तिपीठों में से एक।

  2. श्रीशैलम डैम: कृष्णा नदी पर बना सुंदर बाँध, पर्यटकों का आकर्षण केंद्र।

  3. सक्शी गणपति मंदिर: मंदिर से 3 किमी दूर, यहाँ दर्शन करने से श्रीशैलम यात्रा पूर्ण मानी जाती है।

  4. पाताल गंगा: पहाड़ियों के नीचे स्थित पवित्र घाट, जहाँ भक्त स्नान करते हैं।

  5. अक्कमहादेवी गुफाएँ: एक पवित्र गुफा स्थल जहाँ भक्त ध्यान साधना करते हैं।


आध्यात्मिक अनुभव

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं बल्कि भक्ति, प्रेम और आत्मज्ञान का अनुभव है।
कृष्णा नदी की कलकल ध्वनि, मंदिर के घंटों की आवाज़ और पर्वतों की गोद में स्थित यह धाम हर भक्त के हृदय में शांति और ऊर्जा भर देता है।

यहाँ जाकर ऐसा लगता है मानो स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती भक्तों का स्वागत कर रहे हों।

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