ओंकारेश्वर मंदिर – नर्मदा नदी के किनारे शिव का दिव्य धाम

ओंकारेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले में स्थित है। यह मंदिर पवित्र नर्मदा नदी के द्वीप “मंदाता” पर बना हुआ है, जिसकी आकृति ॐ (ओंकार) के समान है। इसी कारण इस स्थान को ओंकारेश्वर कहा जाता है। यह मंदिर भगवान शिव के उस रूप को समर्पित है, जो सृष्टि, स्थिति और संहार के अधिपति हैं।

Oct 15, 2025 - 12:07
Oct 16, 2025 - 16:53
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ओंकारेश्वर मंदिर – नर्मदा नदी के किनारे शिव का दिव्य धाम

ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास

ओंकारेश्वर मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।

एक प्रमुख मान्यता के अनुसार, एक समय में विंद्याचल पर्वत ने भगवान शिव की तपस्या की थी और उन्हें प्रसन्न कर अमरत्व का वरदान मांगा। प्रसन्न होकर भगवान शिव ने यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर उसे दर्शन दिए।
यही स्थान बाद में ओंकारेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

एक अन्य कथा के अनुसार, आदि शंकराचार्य ने यहीं पर गोविंद भगवत्पाद से ज्ञान प्राप्त किया था और इस स्थान ने भारत में अद्वैत वेदांत के प्रचार का प्रारंभिक केंद्र बनाया।

इतिहास के अनुसार, यह मंदिर 8वीं-10वीं शताब्दी में बना माना जाता है, और बाद में मराठा शासन में इसका पुनर्निर्माण और विस्तार हुआ।


ओंकारेश्वर मंदिर का स्थान और पहुँचने का तरीका

  • स्थान: मंदाता द्वीप, ओंकारेश्वर, ज़िला खंडवा, मध्य प्रदेश

  • निकटतम शहर: इंदौर (लगभग 80 किमी)

  • रेल मार्ग: ओंकारेश्वर रोड स्टेशन (मूलग्राम से 12 किमी)

  • हवाई मार्ग: इंदौर एयरपोर्ट

  • सड़क मार्ग: नियमित बस और टैक्सी सेवाएं उपलब्ध हैं

नर्मदा नदी पर बने झूला पुल (Suspension Bridge) से होकर मंदिर तक पहुंचना एक अनोखा अनुभव होता है।


ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महत्ता

ओंकारेश्वर मंदिर में दो मुख्य शिवलिंग पूजे जाते हैं:

  1. ओंकारेश्वर (ओंकार लिंग) – यह ज्योतिर्लिंग मुख्य मंदिर में स्थित है

  2. अमलेश्वर (ममलेश्वर) – यह द्वीप के दूसरी ओर स्थित है

ऐसा माना जाता है कि जब तक दोनों लिंगों के दर्शन न किए जाएं, तब तक यात्रा पूर्ण नहीं मानी जाती।


मंदिर की विशेषताएँ

  • शिवलिंग स्वयंभू (स्वतः प्रकट) माना जाता है

  • मंदिर नर्मदा नदी के प्राकृतिक ॐ आकार वाले द्वीप पर स्थित है

  • श्रद्धालु झूला पुल पार कर मंदिर पहुँचते हैं

  • मंदिर परिसर में कई छोटे-बड़े अन्य मंदिर भी स्थित हैं


दर्शन और यात्रा के लिए सर्वोत्तम समय

  • सावन माह (जुलाई-अगस्त) – शिवभक्तों के लिए पवित्र समय

  • महाशिवरात्रि – मंदिर में विशेष आयोजन और रात्रि जागरण

  • नवरात्रि व कार्तिक माह में भी यहां विशेष पूजा होती है


यात्रा सुझाव

  • ओंकारेश्वर दर्शन के साथ-साथ अमलेश्वर मंदिर के दर्शन अवश्य करें

  • नर्मदा नदी में स्नान करने से पूर्व श्रद्धा और स्वच्छता का ध्यान रखें

  • मंदिर तक पहुँचने के लिए पैदल पुल या नाव का विकल्प चुन सकते हैं

  • स्थानीय बाजार से धार्मिक पुस्तकें, रुद्राक्ष, पूजा सामग्री मिलती है

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