नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: द्वारका के नागेश्वर महादेव — भक्तों के भय का नाश करने वाले शिव

भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshwar Jyotirlinga), भगवान शिव का अत्यंत पवित्र और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर गुजरात के द्वारका शहर से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। यहाँ भगवान शिव “नागेश्वर” या “नागों के स्वामी” के रूप में पूजित हैं। यह ज्योतिर्लिंग समुद्र तट के निकट सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है और इसे “दरुकावन” भी कहा जाता है, जहाँ भगवान शिव ने अपने भक्त की रक्षा के लिए प्रकट होकर राक्षस का संहार किया था।

Oct 16, 2025 - 16:07
Oct 16, 2025 - 17:11
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: द्वारका के नागेश्वर महादेव — भक्तों के भय का नाश करने वाले शिव

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा (Mythological Story of Nageshwar Jyotirlinga)

शिवपुराण में वर्णन मिलता है कि बहुत प्राचीन काल में समुद्र किनारे एक दरुकावन नामक वन था।
वहाँ दरुक नामक राक्षस और उसकी पत्नी दरुका रहते थे, जिन्होंने समुद्र की शक्तियों से अनेक दानवों की सेना बनाई थी।
वे साधु-संतों और भक्तों को अत्याचारपूर्वक सताते थे।

एक दिन उन्होंने सुवेदी नामक शिवभक्त को बंदी बना लिया।
वह भक्त जेल में रहते हुए भी निरंतर “ओम नमः शिवाय” का जप करता रहा।
उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और दरुक राक्षस का संहार किया।

उसी स्थान पर भगवान शिव नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और भक्त सुवेदी को आशीर्वाद दिया —
“जो भी यहाँ मेरी आराधना करेगा, उसके सभी भय और बंधन नष्ट हो जाएंगे।”

इसी कारण यह ज्योतिर्लिंग भय और बंधन से मुक्ति देने वाला शिवधाम कहलाता है।


नागेश्वर मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Nageshwar Temple)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का निर्माण आधुनिक और पारंपरिक भारतीय शैली का सुंदर मिश्रण है।
यह मंदिर विशाल परिसर में स्थित है, और इसका वातावरण अत्यंत शांत व आध्यात्मिक है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • मंदिर के बाहर 25 मीटर ऊँची भगवान शिव की भव्य प्रतिमा स्थापित है, जो भक्तों का ध्यान आकर्षित करती है।

  • गर्भगृह में स्थित स्वयंभू शिवलिंग त्रिभुजाकार है और सर्पों से घिरा हुआ प्रतीत होता है।

  • मंदिर की दीवारों पर शिलालेख और पौराणिक दृश्यों की सुंदर नक्काशी की गई है।

  • मंदिर परिसर में “नागेश्वर सरोवर” नामक पवित्र जलकुंड भी स्थित है।


धार्मिक महत्व (Spiritual Significance of Nageshwar Jyotirlinga)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को भयहर ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ भगवान शिव भक्तों के सभी भय और रोग दूर करते हैं।
यह स्थान विशेष रूप से सर्प दोष, कुंडली के दोष, और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।

प्रमुख मान्यताएँ:

  • यहाँ पूजा करने से व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और निडरता प्राप्त होती है।

  • जो भक्त “नागेशं दरुकावने” नाम का जप करते हैं, वे सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं।

  • यहाँ रुद्राभिषेक, नागपूजा, और महामृत्युंजय जाप अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।


पूजा और आरती समय (Temple Timings & Aarti Schedule)

  • सुबह खुलने का समय: 5:00 बजे

  • दोपहर आरती: 12:00 बजे

  • शाम की आरती: 7:00 बजे

  • रात्रि शयन आरती: 9:00 बजे

विशेष पूजा:

  • महाशिवरात्रि: अत्यंत भव्य आयोजन होता है।

  • श्रावण मास: पूरे माह विशेष रुद्राभिषेक किए जाते हैं।

  • नाग पंचमी: भगवान नागेश्वर को दूध और पुष्प अर्पित कर पूजा की जाती है।


कैसे पहुँचे (How to Reach Nageshwar Jyotirlinga, Dwarka)

  1. हवाई मार्ग:
    निकटतम हवाई अड्डा जामनगर एयरपोर्ट है (137 किमी दूर)।

  2. रेल मार्ग:
    निकटतम रेलवे स्टेशन द्वारका स्टेशन, जो मंदिर से 17 किमी की दूरी पर है।

  3. सड़क मार्ग:
    द्वारका से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तक नियमित बसें, टैक्सियाँ और ऑटो उपलब्ध हैं।
    सड़क मार्ग बेहद मनोहारी है और समुद्र तट के दृश्य इसे अद्भुत बनाते हैं।


यात्रा का सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit Nageshwar Jyotirlinga)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पूरे वर्ष खुला रहता है, लेकिन अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे अनुकूल है।

  • सर्दी (अक्टूबर–फरवरी): मौसम सुहावना, यात्रा के लिए उत्तम।

  • गर्मी (मार्च–जून): दिन गर्म, पर समुद्री हवा के कारण सहनीय।

  • मानसून (जुलाई–सितंबर): हरियाली और भक्ति का सुंदर वातावरण।

महाशिवरात्रि और नाग पंचमी के अवसर पर यहाँ लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है।


आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby Attractions)

  1. द्वारकाधीश मंदिर: भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध धाम।

  2. बेट द्वारका: समुद्र तट पर स्थित प्राचीन तीर्थ।

  3. गोमती घाट: जहाँ गोमती नदी अरब सागर में मिलती है।

  4. रुक्मिणी देवी मंदिर: द्वारका से कुछ किलोमीटर दूर देवी का सुंदर मंदिर।

  5. भदकेश्वर महादेव मंदिर: समुद्र में स्थित शिव मंदिर, अद्भुत दृश्य के साथ।


आवास व्यवस्था (Accommodation)

द्वारका और नागेश्वर के आसपास अनेक धर्मशालाएँ, होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
गुजरात पर्यटन विभाग (TDC) और द्वारका देवस्थान ट्रस्ट की धर्मशालाएँ यात्रियों को सुविधाजनक ठहराव देती हैं।


आध्यात्मिक अनुभव (Spiritual Experience)

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का वातावरण अत्यंत शांत और पवित्र है।
यहाँ पहुँचकर भक्त अपने भीतर ऊर्जा, निडरता और शांति का अनुभव करता है।
मंदिर के बाहर स्थित विशाल शिव प्रतिमा जब समुद्र की हवा में झूलती है,
तो ऐसा लगता है मानो भगवान शिव स्वयं भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हों।

यह स्थान भक्ति, शौर्य और निर्भयता का प्रतीक है —
जहाँ भगवान शिव हर भय को नष्ट कर, अपने भक्त को शक्ति प्रदान करते हैं।

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