सोमनाथ मंदिर: भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग और सनातन आस्था का प्रतीक

सोमनाथ मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों (Twelve Jyotirlingas) में प्रथम स्थान पर आता है और भारत की अटूट आस्था, पुनर्निर्माण और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। गुजरात के सौराष्ट्र तट पर प्रभास पाटन (जिला गिर-सोमनाथ) में स्थित यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और स्थापत्य दृष्टि से भी अद्वितीय है।

Oct 15, 2025 - 12:49
Oct 16, 2025 - 16:46
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सोमनाथ मंदिर: भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग और सनातन आस्था का प्रतीक

सोमनाथ मंदिर का इतिहास (History of Somnath Temple)

सोमनाथ मंदिर का उल्लेख ऋग्वेद, शिव पुराण, और स्कंद पुराण में मिलता है।
कथा के अनुसार, चंद्रदेव (Soma) ने भगवान शिव की आराधना कर यहाँ यह मंदिर स्थापित किया था। चंद्रदेव को अपने ससुर दक्ष प्रजापति के शाप से मुक्ति यहीं भगवान शिव की कृपा से मिली थी।
इसी कारण भगवान शिव को सोमनाथ कहा गया — “सोम (चंद्र) + नाथ (स्वामी)” अर्थात “चंद्र के भगवान”।

इतिहास में यह मंदिर कई बार विध्वंस का शिकार हुआ, लेकिन हर बार श्रद्धालुओं ने इसे फिर से खड़ा किया।
कहा जाता है कि इसे मह्मूद गजनवी (1026 ई.), अलाउद्दीन खिलजी, और मुगल शासकों ने बार-बार तोड़ा, पर हर बार यह मंदिर भक्ति और आस्था के बल पर पुनर्निर्मित हुआ।
वर्तमान मंदिर का निर्माण 1951 में सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रेरणा से हुआ और इसका उद्घाटन भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने किया था।


सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Somnath Temple)

वर्तमान सोमनाथ मंदिर की वास्तुकला चालुक्य शैली (Chaulukya Style) में बनी है, जो भारतीय शिल्पकला की उत्कृष्ट मिसाल है।
यह मंदिर जय सोमेश्वर नामक शिल्पी द्वारा बनाया गया था।

मुख्य विशेषताएँ:

  • मंदिर की ऊँचाई लगभग 155 फीट है।

  • इसके शीर्ष पर 50 टन का कलश (शिखर) और 8.2 मीटर लंबा ध्वजदंड लहराता है।

  • मंदिर का मुख्य गर्भगृह (Sanctum) भगवान शिव के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग को समर्पित है।

  • मंदिर के पीछे से सागर का दृश्य अत्यंत मनमोहक है — जिसे “Triveni Sangam” कहा जाता है, जहाँ तीन पवित्र नदियाँ – हिरण, कपालिनी और सरस्वती मिलती हैं।


स्थान और भौगोलिक महत्व

सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में अरब सागर के तट पर स्थित है।
माना जाता है कि मंदिर के पीछे स्थित समुद्र तट से लेकर दक्षिण ध्रुव तक कोई भी भूमि नहीं है — इस कारण इस स्थान को “देवभूमि का शून्य बिंदु” (Zero Point of India’s Landmass) भी कहा जाता है।


सोमनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व (Spiritual Significance)

सोमनाथ मंदिर हिंदू धर्म में भगवान शिव के पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजित है।
कहा जाता है कि जो व्यक्ति यहाँ श्रद्धा से दर्शन करता है, उसे मोक्ष (मुक्ति) की प्राप्ति होती है।

शिव पुराण में उल्लेख है कि सभी ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का स्थान सर्वोच्च है।
यह मंदिर न केवल भगवान शिव का धाम है बल्कि सनातन धर्म की अमरता और पुनर्जन्म की शक्ति का प्रतीक भी है।


सोमनाथ मंदिर के दर्शन का समय और आरती

मंदिर दर्शन समय:

  • सुबह: 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक

दैनिक आरती समय:

  • सुबह आरती: 7:00 बजे

  • दोपहर आरती: 12:00 बजे

  • शाम आरती: 7:00 बजे

इसके अलावा, मंदिर में हर शाम “साउंड एंड लाइट शो – जय सोमनाथ” आयोजित होता है, जिसमें मंदिर का पूरा इतिहास प्रस्तुत किया जाता है।


सोमनाथ कैसे पहुँचे (How to Reach Somnath Temple)

  1. हवाई मार्ग (By Air):
    नज़दीकी हवाई अड्डा दीव एयरपोर्ट है, जो लगभग 65 किमी दूर है।

  2. रेल मार्ग (By Train):
    सोमनाथ रेलवे स्टेशन सीधे कई प्रमुख शहरों जैसे अहमदाबाद, राजकोट, और सूरत से जुड़ा हुआ है।

  3. सड़क मार्ग (By Road):
    सोमनाथ राजमार्गों द्वारा सौराष्ट्र और गुजरात के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।


सोमनाथ जाने का सबसे अच्छा समय (Best Time to Visit Somnath)

सोमनाथ मंदिर पूरे वर्ष खुला रहता है, लेकिन यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना रहता है।
गर्मियों (अप्रैल–जून) में तापमान अधिक हो सकता है, जबकि मानसून (जुलाई–सितंबर) में वर्षा अधिक होती है।


रहने की व्यवस्था (Accommodation in Somnath)

सोमनाथ में यात्रियों के लिए अनेक धर्मशालाएँ, होटल और गेस्ट हाउस उपलब्ध हैं।
सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा संचालित धर्मशालाएँ और यात्री निवास स्वच्छ और सस्ती सुविधा प्रदान करते हैं।
इसके अलावा कई तीर्थ यात्रियों के लिए भोजनालय (Bhojanalaya) भी हैं।


आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby Attractions)

  1. त्रिवेणी संगम: जहाँ तीन नदियाँ — हिरण, कपालिनी और सरस्वती — मिलती हैं।

  2. भीलका तीर्थ: जहाँ श्रीकृष्ण ने अपना देह त्याग किया था।

  3. गीता मंदिर: मंदिर परिसर के पास बना संगमरमर का भव्य मंदिर।

  4. भालका तीर्थ: भगवान कृष्ण के अंतिम क्षणों से जुड़ा स्थल।

  5. दीव द्वीप: समुद्र किनारे का सुंदर पर्यटन स्थल, 65 किमी दूर।


भक्ति और इतिहास का संगम

सोमनाथ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था और अमरता की कहानी है।
बार-बार विध्वंस के बाद भी यह मंदिर हर बार पुनर्निर्मित हुआ — यह बताता है कि श्रद्धा को कभी मिटाया नहीं जा सकता

यह मंदिर हमें यह सिखाता है कि चाहे कितनी भी बार विनाश हो, आस्था और सत्य सदा पुनर्जीवित होते हैं।

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