भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: सह्याद्रि पर्वतों में स्थित भगवान शिव का छठा स्वरूप

भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में छठा स्थान पाने वाला भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga) महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में स्थित है। यह पवित्र स्थल सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला की ऊँचाई पर बसा हुआ है और घने जंगलों, झरनों व प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा हुआ है। यहाँ भगवान शिव का रूप “भीमाशंकर” के नाम से पूजित है, जो भक्तों के भय को दूर कर मुक्ति देने वाले माने जाते हैं। भीमाशंकर न केवल एक ज्योतिर्लिंग है, बल्कि यह स्थान वन्यजीव अभयारण्य (Bhimashankar Wildlife Sanctuary) के रूप में भी प्रसिद्ध है।

Oct 15, 2025 - 13:04
Oct 16, 2025 - 17:03
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भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: सह्याद्रि पर्वतों में स्थित भगवान शिव का छठा स्वरूप

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का इतिहास (History of Bhimashankar Jyotirlinga)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा शिव पुराण में वर्णित है।

एक बार कुंभकर्ण का पुत्र भीमासुर नामक राक्षस कामरूप देश में जन्मा। उसने कठोर तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया कि कोई भी देवता या मनुष्य उसका वध न कर सके।
वरदान पाकर भीमासुर ने अत्याचार शुरू कर दिए — देवता, ऋषि और मानव सब उसके भय से कांपने लगे।

एक दिन उसने कामरूपेश्वर नामक शिवभक्त को बंदी बना लिया। कामरूपेश्वर ने जेल में भी भगवान शिव की आराधना बंद नहीं की।
भीमासुर ने क्रोधित होकर जब उसका वध करना चाहा, तभी भगवान शिव वहाँ प्रकट हुए। भगवान ने भीमासुर का वध कर ब्रह्मांड की रक्षा की।
इस स्थान पर भगवान शिव का तेजस्वी ज्योतिर्लिंग रूप प्रकट हुआ और इसे भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कहा गया।

कहा जाता है कि भगवान शिव द्वारा राक्षस भीम का वध करने के बाद उनके शरीर से निकली पसीने की धारा से भीमा नदी का उद्गम हुआ।


भीमाशंकर मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Bhimashankar Temple)

भीमाशंकर मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है, जो प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला का सुंदर उदाहरण है।
यह मंदिर लगभग 13वीं सदी में बना माना जाता है और पेशवा शासनकाल में इसका जीर्णोद्धार हुआ।

प्रमुख विशेषताएँ:

  • मंदिर का गर्भगृह (Sanctum Sanctorum) छोटा लेकिन अत्यंत पवित्र है, जिसमें स्वयंभू शिवलिंग स्थित है।

  • मंदिर का शिखर (Spire) और दीवारें काले पत्थर से बनी हैं, जिन पर सुन्दर नक्काशी की गई है।

  • मुख्य मंदिर के आसपास अनेक छोटे-छोटे उप-मंदिर हैं, जैसे भगवान गणेश, पार्वती और नंदीजी के।

  • मंदिर के पास से बहती भीमा नदी वातावरण को और भी आध्यात्मिक बना देती है।


धार्मिक महत्व (Spiritual Significance of Bhimashankar Jyotirlinga)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोक्षदायिनी माना गया है।
यहाँ दर्शन करने से भक्तों के सारे पाप नष्ट होते हैं और आत्मा को शांति प्राप्त होती है।

यह स्थान उन कुछ ज्योतिर्लिंगों में से एक है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की एक साथ पूजा की जाती है।
माना जाता है कि जो भी यहाँ आकर सच्चे मन से "ॐ नमः शिवाय" का जाप करता है, उसे भय, रोग और बंधनों से मुक्ति मिलती है।


पूजा, आरती और दर्शन समय (Temple Timings & Pooja Schedule)

  • मंदिर खुलने का समय: सुबह 4:30 बजे से रात 9:30 बजे तक

  • मुख्य आरती:

    • प्रातः आरती: सुबह 5:00 बजे

    • मध्याह्न आरती: दोपहर 12:00 बजे

    • संध्या आरती: शाम 7:30 बजे

  • विशेष पूजा: रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और लिंगाभिषेक यहाँ अत्यंत फलदायी माने जाते हैं।

महाशिवरात्रि के दिन यहाँ लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और पूरा क्षेत्र “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठता है।


कैसे पहुँचे (How to Reach Bhimashankar Temple)

  1. हवाई मार्ग (By Air):
    निकटतम हवाई अड्डा पुणे एयरपोर्ट है, जो लगभग 125 किमी दूर है।

  2. रेल मार्ग (By Train):
    निकटतम रेलवे स्टेशन पुणे जंक्शन और करजत स्टेशन हैं।

  3. सड़क मार्ग (By Road):
    पुणे, मुंबई और नासिक से भीमाशंकर के लिए नियमित बस और टैक्सी सेवाएँ उपलब्ध हैं।
    मुंबई से दूरी लगभग 210 किमी और पुणे से 125 किमी है।


यात्रा का सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit Bhimashankar Jyotirlinga)

  • अक्टूबर से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है।
    इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और यात्रा सुखद होती है।

  • मानसून (जुलाई–सितंबर): यहाँ के झरने और हरी-भरी घाटियाँ देखने लायक होती हैं, पर रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं।

  • गर्मी (अप्रैल–जून): इस समय गर्मी थोड़ी अधिक होती है, पर सुबह-सुबह दर्शन करना अच्छा रहता है।


आसपास के दर्शनीय स्थल (Nearby Attractions)

  1. भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य: यहाँ दुर्लभ प्रजाति के पक्षी और “मालाबार जायंट स्क्विरल” देखी जा सकती है।

  2. हनुमान तालाब: पवित्र जलाशय जहाँ भक्त स्नान करते हैं।

  3. गुप्त भीमाशंकर: पहाड़ी के नीचे एक गुफा में स्थित भगवान शिव का एक और स्वरूप।

  4. सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला: यहाँ से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य अत्यंत मनमोहक होता है।

  5. भीमा नदी का उद्गम स्थल: माना जाता है कि यह नदी भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न हुई थी।


रहने की व्यवस्था (Accommodation)

भीमाशंकर में अनेक धर्मशालाएँ, गेस्ट हाउस और होटल उपलब्ध हैं।
MTDC Resort Bhimashankar, Devsthan Bhakta Nivas और स्थानीय लॉज यात्रियों के लिए उपयुक्त हैं।
अधिकांश स्थानों पर सस्ते और स्वच्छ कमरे, भोजन व पार्किंग सुविधा मिल जाती है।


आध्यात्मिक अनुभव (Spiritual Vibes)

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि प्रकृति और भक्ति का संगम है।
सह्याद्रि पर्वतों की ठंडी हवा, घंटों की गूंज, और भक्तों की आस्था यहाँ का वातावरण दिव्य बना देती है।

यह स्थान हर उस व्यक्ति को बुलाता है जो जीवन में शांति, भक्ति और आत्मज्ञान की खोज में है।

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