काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: मोक्षदायिनी काशी में विराजमान भगवान शिव का दिव्य धाम

भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक और सबसे प्रसिद्ध — काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishwanath Jyotirlinga) — भगवान शिव का पवित्र धाम है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है और इसे “मोक्ष की नगरी” कहा जाता है। कहते हैं, “काशी में मरने वाला सीधा मोक्ष प्राप्त करता है”, क्योंकि यहाँ स्वयं भगवान शिव प्रत्येक जीव को मोक्ष प्रदान करते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है और इसका नाम श्रद्धा, भक्ति व आत्मज्ञान का प्रतीक बन चुका है।

Oct 16, 2025 - 15:49
Oct 16, 2025 - 17:06
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काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: मोक्षदायिनी काशी में विराजमान भगवान शिव का दिव्य धाम

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का इतिहास (History of Kashi Vishwanath Jyotirlinga)

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का उल्लेख स्कंद पुराण, शिव पुराण और अनेक प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
यह मंदिर 12वीं सदी से अब तक कई बार ध्वस्त और पुनर्निर्मित हुआ।

  • 1194 ई. में मोहम्मद गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे पहली बार नष्ट किया।

  • 1585 ई. में राजा टोडरमल और अकबर की सहायता से पुनर्निर्माण हुआ।

  • 1669 ई. में औरंगज़ेब ने फिर से मंदिर को तोड़कर उसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई।

  • वर्तमान मंदिर का निर्माण 1777 ई. में मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर (इंदौर) ने करवाया।

मंदिर की स्वर्ण जड़ी हुई मीनारें (Gold-plated domes) आज भी उसकी भव्यता का प्रतीक हैं।
ज्ञानवापी कुआँ (Gyanvapi Well) मंदिर परिसर के पास स्थित है और इसका धार्मिक महत्व बहुत गहरा है।


काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा (Mythological Story)

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ।
दोनों ने भगवान शिव से निर्णय मांगा।
तब शिवजी ने स्वयं को एक अनंत ज्योति स्तंभ (Jyotirlinga) के रूप में प्रकट किया और कहा —
“जो इस प्रकाश स्तंभ का आरंभ या अंत खोज लेगा, वही श्रेष्ठ होगा।”

विष्णु ने नीचे की ओर और ब्रह्मा ऊपर की ओर खोज शुरू की।
विष्णु हार मान गए, पर ब्रह्मा ने झूठ कहा कि उन्होंने स्तंभ का अंत देख लिया।
शिवजी क्रोधित हुए और उन्होंने ब्रह्मा को श्राप दिया कि उनकी पूजा कभी नहीं होगी,
और विष्णु को आशीर्वाद दिया कि वे सदा पूजनीय रहेंगे।

उसी स्थान पर जहाँ यह ज्योति प्रकट हुई, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना मानी जाती है।


काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तुकला (Architecture of Kashi Vishwanath Temple)

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण द्रविड़ और नागर शैली के सम्मिश्रण से हुआ है।
इसकी सबसे बड़ी विशेषता हैं — तीन सुनहरी मीनारें, जो लगभग 800 किलोग्राम सोने से मढ़ी गई हैं।

मंदिर की विशेषताएँ:

  • गर्भगृह में भगवान शिव का विश्वनाथ (विश्वरूप) स्वरूप विराजमान है।

  • मंदिर परिसर में माता अन्नपूर्णा देवी, काल भैरव, विष्णु, गणेश और अन्य देवताओं के मंदिर भी हैं।

  • निकट ही स्थित है ज्ञानवापी कुआँ, जहाँ कहा जाता है कि शिवलिंग को मुस्लिम आक्रमण के दौरान सुरक्षित रखा गया था।


धार्मिक महत्व (Spiritual Significance)

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व अन्य सभी शिवधामों से अधिक माना जाता है क्योंकि —
यहाँ स्वयं भगवान शिव “मृत्यु के समय जीव को मोक्ष प्रदान करते हैं”
शास्त्रों में कहा गया है कि काशी में मृत्यु होने पर भगवान शिव स्वयं कान में “तारक मंत्र” का उपदेश देते हैं, जिससे जीव को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है।

“काशी क्षेत्रं महापुण्यं मुक्तिदं सर्वकर्मणाम्।”
— स्कंद पुराण

इसलिए इस धाम को मोक्षनगरी कहा गया है।


पूजा और आरती समय (Kashi Vishwanath Temple Timings & Aarti)

मंदिर दर्शन का समय:

  • सुबह 3:00 बजे से रात 11:00 बजे तक

मुख्य आरतियाँ:

  1. मंगला आरती: प्रातः 3:00 से 4:00 बजे

  2. भोग आरती: दोपहर 11:30 से 12:30 बजे

  3. संध्या आरती: शाम 7:00 से 8:30 बजे

  4. शृंगार आरती: रात्रि 9:00 से 10:15 बजे

भक्त रुद्राभिषेक, लिंगाभिषेक और महादेव पूजन विशेष रूप से करवाते हैं।


काशी विश्वनाथ मंदिर कैसे पहुँचे (How to Reach Kashi Vishwanath Temple)

  1. हवाई मार्ग (By Air):
    निकटतम हवाई अड्डा लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (वाराणसी) है, जो मंदिर से लगभग 25 किमी दूर है।

  2. रेल मार्ग (By Train):
    वाराणसी जंक्शन (Varanasi Cantt) और मंडुवाडीह स्टेशन मुख्य रेलवे स्टेशन हैं, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़े हैं।

  3. सड़क मार्ग (By Road):
    वाराणसी शहर उत्तर प्रदेश के सभी बड़े नगरों से बस व टैक्सी द्वारा जुड़ा हुआ है।


यात्रा का सर्वोत्तम समय (Best Time to Visit Kashi Vishwanath Jyotirlinga)

  • अक्टूबर से मार्च: सबसे उपयुक्त मौसम, ठंडा और आनंददायक।

  • महाशिवरात्रि, श्रावण मास, और देव दीपावली के दौरान यहाँ भव्य उत्सव मनाए जाते हैं।

  • इन पर्वों के समय लाखों भक्त दर्शन हेतु पहुँचते हैं।


रहने की व्यवस्था (Accommodation)

वाराणसी में हर बजट के अनुरूप ठहरने की व्यवस्था है।

  • काशी विश्वनाथ धाम परिसर में धर्मशालाएँ और विश्राम गृह उपलब्ध हैं।

  • दशाश्वमेध घाट और गोडौलिया चौक के पास होटल और लॉज सुविधाएँ मिलती हैं।


आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Nearby Attractions)

  1. दशाश्वमेध घाट: गंगा आरती का अद्भुत दृश्य देखने योग्य।

  2. मणिकर्णिका घाट: मोक्ष प्राप्ति का पवित्र स्थल।

  3. संकटमोचन हनुमान मंदिर

  4. दुर्गा कुंड मंदिर

  5. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निर्मित भव्य कॉरिडोर जो मंदिर को गंगा घाट से जोड़ता है।


आध्यात्मिक अनुभव (Spiritual Experience)

काशी विश्वनाथ धाम में प्रवेश करते ही ऐसा लगता है जैसे समय रुक गया हो।
हर हर महादेव” की गूंज, गंगा की लहरें और मंदिर की घंटियाँ — सब मिलकर एक अलौकिक वातावरण बनाती हैं।
यहाँ आकर मनुष्य अपने भीतर की शांति, भक्ति और आत्मज्ञान को महसूस करता है।

कहा जाता है —

“जो काशी में शिव का दर्शन करता है, वह जीवन-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।”

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